फरीदाबाद। उपायुक्त (डीसी) आयुष सिन्हा ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा शीत लहर 2025–2026 के प्रभावी प्रबंधन के लिए बहु-क्षेत्रीय और समन्वित कार्ययोजना लागू की गई है। इन उपायों का उद्देश्य जनजीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना, ठंड से होने वाली बीमारियों एवं मृत्यु के जोखिम को कम करना तथा कमजोर वर्गों को आवश्यक राहत प्रदान करना है।
प्रशासन ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे शीत लहर प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। उन्होंने निर्देश दिए कि पेयजल की उपलब्धता, अस्थायी आश्रयों, रैन बसेरों और सामुदायिक केंद्रों पर पर्याप्त कंबल, गर्म कपड़े, भोजन और दवाओं की व्यवस्था रहे।
बेघर और निराश्रित व्यक्तियों के लिए रात्रि विश्राम गृहों एवं सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था भी की जा रही है।
डीसी आयुष सिन्हा ने बताया कि शीत लहर के संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और जिला अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि ठंड से संबंधित बीमारियों जैसे हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट के उपचार हेतु पर्याप्त दवाओं, कंबलों एवं हीटिंग उपकरणों की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा कि एएनएम, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी समुदाय स्तर पर सक्रिय रहकर जनजागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। विशेष रूप से वृद्धजनों, बच्चों तथा गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल और ठंड से सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।
डीसी ने बताया कि पशुपालन विभाग को भी पशुओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने को कहा गया है। सभी पशु आश्रयों में पर्याप्त चारा, स्वच्छ पानी, गर्म बिस्तर तथा आवश्यक टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है ताकि पशुधन को ठंड के प्रभाव से बचाया जा सके।
इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकायों एवं ग्रामीण विकास विभाग को सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था करने, रैन बसेरों को सक्रिय रखने तथा राहत शिविरों में स्वच्छ पेयजल, भोजन और चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा निरंतर निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और नागरिकों एवं पशुओं की सुरक्षा हर स्तर पर सुनिश्चित की जा सके।
डीसी ने बताया कि शीत लहर के प्रभाव से ग्रामीण जनजीवन को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से विकास एवं पंचायती राज विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विभाग को निर्देशित किया गया है कि ग्राम पंचायत स्तर पर व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ठंड से बचाव के उपायों के प्रति सचेत और सशक्त बन सकें।
उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान दें, पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें, बुजुर्गों और बच्चों को ठंड से बचाएं तथा अत्यधिक ठंड या कोहरे में अनावश्यक यात्रा से बचें। वाहन चालकों से सावधानीपूर्वक वाहन चलाने और रात के समय दृश्यता कम होने पर विशेष सतर्कता बरतने की अपील की गई है।
*शीत लहर से पहले की तैयारी के लिए सुझाव:*
लोगों को सलाह दी गई है कि वे रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें, आवश्यक वस्तुएं जैसे दवाइयां, कंबल और टॉर्च अग्रिम रूप से तैयार रखें तथा एक से अधिक परतों में कपड़े पहनें। ठंड से होने वाले रोग जैसे जुकाम, फ्लू या नकसीर की स्थिति में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
*शीत लहर के दौरान सावधानियां:*
मौसम संबंधी चेतावनियों पर ध्यान दें, अनावश्यक यात्रा से बचें और शरीर को सूखा एवं गर्म रखें। सिर, गर्दन, हाथ और पैर को ढककर रखें तथा विटामिन-सी युक्त फल एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें। घर के अंदर कोयले या लकड़ी से गर्मी उत्पन्न करने से बचें, क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैस बनती है जो जानलेवा हो सकती है।
*हाइपोथर्मिया एवं फ्रॉस्टबाइट से बचाव:*
यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक ठंडक, कंपकंपी, बोलने में कठिनाई या नींद महसूस हो, तो उसे तुरंत गर्म स्थान पर ले जाएं, सूखे कंबल या कपड़ों में लपेटें और गर्म पेय दें। शराब का सेवन बिल्कुल न करें और हालत बिगड़ने पर तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
*क्या न करें:*
अत्यधिक ठंड में लंबे समय तक न रहें। शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह शरीर का तापमान कम करता है। फ्रॉस्टबाइट से प्रभावित अंगों की मालिश न करें और कंपकंपी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दें जब तक वह पूरी तरह सचेत न हो।
